मुंबई में प्रदूषण से अफरा-तफरी : कभी भी लग सकती है इमरजेंसी?
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मुंबई में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच हाई कोर्ट की फटकार के बाद BMC ने 53 निर्माण स्थलों पर तुरंत काम रोकने के आदेश जारी किए। कई इलाकों में AQI 300 पार होने से स्वास्थ्य खतरे बढ़े, विशेषज्ञों ने अस्थमा व सांस रोगियों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी।
मिलिंद देवड़ा और आदित्य ठाकरे ने प्रदूषण संकट को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल बताते हुए बीएमसी से कड़ी और त्वरित कार्रवाई की मांग की।
मुंबई/ मुंबई में बीते कुछ दिनों से वायु प्रदूषण ने लोगों को परेशान कर रखा है। शहर का औसत AQI 160 से 200 के बीच बना हुआ है, जबकि देवनार, मझगांव और मालाड में यह आंकड़ा 300 के पार पहुंच गया है, जो गंभीर श्रेणी में आता है। सुबह और शाम के समय फैली घनी धुंध लोगों के मन में डर और चिंता बढ़ा रही है। सोशल मीडिया पर भी प्रदूषण को लेकर लगातार वीडियो और शिकायतें वायरल हो रही हैं, जिनमें नागरिक सवाल उठा रहे हैं कि आखिर प्रदूषण नियंत्रण के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
इसी स्थिति को देखते हुए शिवसेना के राज्यसभा सांसद मिलिंद देवड़ा ने बीएमसी आयुक्त भूषण गगरानी को पत्र लिखकर तत्काल कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने कहा कि मुंबई में वायु प्रदूषण सिर्फ एक मौसम संबंधी समस्या नहीं, बल्कि एक पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी बन चुकी है। उन्होंने सुझाव दिया कि जब तक हवा गुणवत्ता में सुधार नहीं होता, शहर के सभी बड़े निर्माण और खुदाई कार्य अस्थायी रूप से रोक दिए जाएं।
इसी बीच बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने सख्त रुख अपनाते हुए शहर के 53 निर्माण स्थलों पर काम रोकने के आदेश जारी कर दिए हैं। बीएमसी ने यह भी कहा है कि सभी निर्माण स्थलों पर AQI सेंसर अनिवार्य रूप से लगाए जाएं और इन्हें 24 घंटे सक्रिय रखा जाए। यदि सेंसर बंद मिले तो संबंधित कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
गुरुवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी प्रदूषण मामले में कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने साफ कहा कि जिम्मेदारी से बचने के लिए अधिकारी वायु प्रदूषण का कारण “इथियोपिया में ज्वालामुखी की राख” को नहीं बता सकते, क्योंकि मुंबई का AQI पहले से खराब चल रहा था। कोर्ट ने सरकार और बीएमसी से पूछा कि दिल्ली जैसी स्थिति से निपटने के लिए मुंबई में क्या प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।
शिवसेना (उद्धव) के नेता आदित्य ठाकरे ने भी सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि शहर का AQI लगातार बिगड़ता जा रहा है लेकिन अधिकारी और सरकारें इसे नज़रअंदाज़ कर रही हैं। बीएमसी का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई कदम पहले से लागू किए जा रहे हैं- जैसे कि बेकरी और श्मशानों में स्वच्छ ईंधन का उपयोग अनिवार्य करना, इलेक्ट्रिक बसें बढ़ाना, सड़क की धूल कम करने के लिए वॉटर स्प्रेइंग मशीनें तैनात करना और निर्माण मलबे का वैज्ञानिक प्रबंधन।
अब 26 नवंबर तक 53 परियोजनाओं को प्रदूषण फैलाने के कारण रोक दिया गया है। नगर आयुक्त ने निर्माण स्थलों पर लगे AQI सेंसर की स्थिति की भी समीक्षा की है ताकि भविष्य में नियमों का पालन कठोरता से कराया जा सके।